भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार में अंतरराष्ट्रीय कार कंपनियों के लिए यह वक्त बहुत अच्छा। इस समय, दक्षिण कोरिया की कंपनी हुंडई और किया बाजार में अच्छा प्रदर्शन कर रही। इसके अलावा, टोयोटा कंपनी भी बाजार में अच्छा काम कर रही है। लेकिन यूरोपीय कंपनियों को भारतीय बाजार में अभी भी संघर्ष का सामना करना पड़ रहा।
अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही
रेनो और सिट्रोएन दोनों ही बाजार में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही। रेनो थी पहली कंपनी जिसने बाजार में कॉम्पैक्ट एसयूवी डस्टर को लॉन्च किया था। इसके बाद लोगों में एसयूवी में रुचि बढ़ी। लेकिन कुछ दिनों बाद डस्टर के निर्माण का कारख़ाना बंद कर दिया गया। इसके बाद कंपनी को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा।
अपना पैर जमा रही
हुंडई और किया कंपनी भारतीय बाजार में तेजी से अपना पैर जमा रही। इनकी उत्कृष्ट डिज़ाइन, अद्वितीय तकनीकी विशेषताएं, और उच्च मानकों के कारण ये कंपनियां बाजार में आकर्षक हो रही। इन कंपनियों ने अपनी कारें भारतीय ग्राहकों के आवश्यकताओं और पसंदों के अनुसार तैयार की जो कि बाजार में उन्हें अनुकूल बनाता।
वहीं, यूरोपीय कंपनियों को भारतीय बाजार में अपनी जगह बनाने में मुश्किलें आ रही। रेनो और सिट्रोएन को अपनी कारों को बाजार में स्थायी रूप से स्थापित करने में समस्याएँ आ रही। डस्टर जैसी उत्कृष्ट कार के बावजूद, उन्हें बाजार में स्थायीता प्राप्त करने में मुश्किलें आईं।
विपणन की धाराओं को भी ध्यान में रखना होगा
अंत में, भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार में सफलता प्राप्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को अपनी कारों को बाजार की मांग और ग्राहकों की पसंद के अनुसार तैयार करने के साथ-साथ मार्केटिंग और विपणन की धाराओं को भी ध्यान में रखना होगा। यह सभी कंपनियों के लिए आवश्यक है ताकि वे भारतीय बाजार में सफलता प्राप्त कर सकें। लेकिन आपको बताना चाहते हैं कि अब मार्केट में नई रेनॉल्ट आने वाली है। इसमें हमें कुछ नए फीचर देखने को मिलेंगे।